"का हो भैया, बजट बड़ा दुखदाई बा? हाँ हो भैया, कमरतोड़ महँगाई बा।
आई-गई कितनी सरकारें, सबने ही सहलाई है, जोर चपत लगवाई है।
चाहे पंसारी, हलवाई, सब पर आफत आई है, वादें लोकलुभावन करतें
मगर धरातल खाई है, धन्ना सेठन की जेबन को, मुई सभी भरने आई।
ई बजट बहुत हरजाई बा, मानुष के मुँह में राई बा।"
- सतीश कुमार