कहते हैं कि जब मन बहुत उदास हो, या कुछ भी करने का मन न कर रहा हो तो एक बार संगीत सुन लीजिए सब ठीक हो जाता है। संगीत दर्द पर मरहम है, जश्न का जरिया है, सुकून का रास्ता है और मन के बागीचे में बार-बार आने वाला बसंत है। जब आदिकाल में मानवों ने संगीत को अपनी जिन्दगी का हिस्सा बनाया तो उस वक़्त इसे जश्न मनाने के लिए इस्तेमाल करता था। धीरे-धीरे गायन और वादन में बदलाव आते गए और संगीत गहरा होता गया। आगे चलकर संगीत में इतने शोध किये गए कि ये शिक्षा का भी एक हिस्सा बन गया। जैसे-जैसे वक़्त बदला संगीत ने भी अपना रंग रूप बदल लिया। केवल वाद्ययंत्रों को ही देख लीजिए तो सब बदला-बदला नजर आएगा।
आज हम ऐसे वाद्ययंत्रों की बात करने वाले हैं जिसके बारे में वेदों में लिखा गया है। जिसे बजाना वेदों की 64 कलाओं में शामिल था। हम आपको उस शख्स से भी रूबरू करवाएंगे जो इस पुराने दुर्लभ वाद्ययंत्र में गहरी साधना रखते हैं।